Thursday, January 17, 2008

पेचिश (नई या पुरानी)

cistern

FennelSeed स्वच्छ सौंफ ३०० ग्राम और मिश्री ३०० ग्राम लें। सौंफ के दो बराबर हिस्से कर लें। एक हिस्सा तवे पर भून लें। भुनी हुई और बची हुई सौंफ लेकर बारीक पीस लें और उतनी  ही मिश्री (पिसी हुई) मिला लें। इस चूर्ण को छः ग्राम (दो चम्मच) की मात्रा से दिन में चार बार खायें। ऊपर से दो घूँट पानी पी सकते हैं। आंवयुक्त पेचिश - नयी या पुरानी (मरोड़ देकर थोडा-थोडा मल तथा आंव आना) के लिए रामबाण है। सौंफ खाने से बस्ती-शूल या पीड़ा सहित आंव आना मिटता है।

curd rice या दही, भात, मिश्री के साथ खाने से आंव-मरोड़ी के दस्तों में आराम आता है।

 

 

methi या मैथी (शुष्क दाना) का साग बनाकर रोजाना खावें अथवा मैथी दाना का चूर्ण तीन ग्राम दही में मिलाकर सेवन करें। आंव की बिमारी में लाभ के अतिरिक्त इससे पेशाब का अधिक आना भी बन्द होता है। प्रतिदिन मैथी का साग खाने से आंव की बिमारी अच्छी होती है। और पेशाब का अधिक आना बन्द होता है।

Tuesday, January 8, 2008

वायु गैस

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curd पेट में वायु-गैस बनने की अवस्था में भोजन के बाद १२५ ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। सप्ताह-दो सप्ताह आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें।

इससे वायु-गोला, अफारा के अतिरिक्त कब्ज भी दूर होती है।

परहेज - चावल, अरबी, फूल गोभी और अन्य वायु पैदा करने वाले पदार्थ।

 

garlic तत्काल लाभ के लिए - एक दो लहसुन की फांकें छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का में लपेटकर, भोजन करने के बाद, चबाकर निगल जाने से थोड़े समय में ही पेट में रुकी हवा निकल जायेगी। सर्दी के कारण सारा शरीर जकड़ गया हो और कमर दर्द हो तो वह भी जाता रहेगा।

Thursday, January 3, 2008

होठों का खुश्की से बचाव

lips

mustard नाभि में रोजाना सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है।

या सरसों का तेल कनपटी में मलिए, कान में डालिए, नाक में सुड़किए, नाभि में लगाइए - इससे नेत्र-ज्योति तथा मस्तिष्क - शक्ति बढ़ती है। जुकाम कभी नहीं होता। सर्दी के दिनों में प्रतिदिन सरसों का तेल नाभि पर लगाने से हाथ पांव भी नहीं फटते और हाथ पैरों की चमड़ी खुरदरी नहीं होती।