बच्चे यदि एक ताज़ा हरा आँवला रोजाना कुछ दिन चबाएँ तो तुतलाना और हकलाना मिटता है। जीभ पतली होती है, और आवाज़ साफ आने लगती है।
या बादाम की गिरी सात, काली मिर्च सात; कुछ बुँदें पानी में घिसकर दोनो की चटनी सी बना लें और इसमें ज़रा-सी मिश्री पिसी हुई मिलाकर चाटें। प्रातः खाली पेट कुछ दिन लें।
या दो काली मिर्च मुँह में रखकर चबायें-चूसें। यह प्रयोग दिन में दो बार लम्बे समय तक करें।
5 comments:
c/आंवला/आँवला
c/चबाएं/चबाएँ
c/आवाज/आवाज़
c/साफ/साफ़
c/बुँदे/बूँदें
c/दोनों/दोनो (मेरे खयाल से)
c/जरा/ज़रा
वैसे दादी जी से सादर पूछना चाहूँगा कि क्या हकलाना मानसिक असामन्यताओं की वजह से होती है या शारीरिक?
अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा।
आलोक जी,
गलतीयाँ करना मुझे अच्छा लगा, आपने विस्तार से पढ़ा और लिखा। वर्तनी सुधार ली गई है।
हकलाना मानसिक और शारीरिक दोनो वजह से संभव है। यह उपाय शारीरिक असामन्यताओं का ध्यान रखेंगे।
मानसिक असामन्यताओं का उपचार आत्मविश्वास विकसित करना है।
c/गलतीयाँ/गलतियाँ
दादी जी मैं बचपन से हकलाता हूं मैं क्या करूँ?
Please घरेलू उपाय बताऐं।
दादी जी मैं बचपन से हकलाता हूं मैं क्या करूँ?
Please घरेलू उपाय बताऐं।
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